आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
खुदा किसी हसीन को इतना शबाब भी न दे, कि हम सलाम करें और वह जवाब भी न दे!
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