आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अगर आम बोने से आम मिलते हैं, और नीम बोने से नीम, आओ लगाकर देखें फसल दुआ की, न कोई भूखा रहे, और न कोई यतीम!
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