आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे, उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे!
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