आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
झूठ कहते हैं कि संगत का असर होता है। आज तक ना काँटों को महकने का सलीका आया, और ना फूलों को चुभने का तरीका आया।।
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