आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तान झनकार भरें धुन में कोई साज न हो, गीत गा जाये अगर सांस को अंदाज न हो। इस तरह शोर मचाते हुए आती है खुशी, दर्द आ जाये दबे पाँव तो आवाज न हो ।।
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