आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जीवन जितना सादा रहेगा, तनाव उतना आधा रहेगा।
महफ़िल में चल रही थी हमारे कत्ल की तैयारी, हम पहुँचे तो बोलें, बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी।
हैं सबके दुःख एक से मगर, हौसले जुदा-जुदा। कोई टूटकर बिखर गया, कोई मुस्कुराकर चल दिया॥