आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कभी उम्मीदें उधड़ जायें तो, बेझिझक चले आइयेगा। हम हौसलों के दर्जी हैं, मुफ़्त में रफ्फ़ू करते हैं।।
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