आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
भंवर से निकलकर किनारा मिला है, जीने को एक सहारा मिला है, बहुत कशमकश में थी ज़िंदगी, ज़िंदगी में अब साथ तुम्हारा मिला है।
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