आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये, इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये।
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