आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
भीगी नहीं थी मेरी आँखें, कभी वक्त के मार से! देख आज तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने, इन्हें जी भर के रूला दिया!!
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