आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Sunday, August 7, 2016
गुज़रा हुआ कल
*"काश फिर मिलने की वजह मिल जाए!*
*"साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए!*
*"चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें!*
*"क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए!*
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