"बाज़ार से गुज़रा हूँ,खरीददार नहीं हूँ,
सजदे में झुका हूँ कोई गुनेहगार नहीं हूँ, अपनी सियासत अपने पास रहने दो यारों,
अब में किसी ओहदे का तलबगार नहीं हूँ"..
सजदे में झुका हूँ कोई गुनेहगार नहीं हूँ, अपनी सियासत अपने पास रहने दो यारों,
अब में किसी ओहदे का तलबगार नहीं हूँ"..
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