आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Thursday, January 10, 2013
मेरा यह प्यार
हसरतों पर रिवाजों का सख्त पहरा है; न जाने कौन सी उम्मीद पर जाकर, यह दिल ठहरा है; मेरी आँखों में से छलकते हुए यह अश्क और गम की कसम; मेरा यह प्यार, बहुत गहरा है!
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