आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, September 8, 2012
teri yaad mein
तेरी याद में मैं जरा अपनी आँखे "भिंगो" लूँ , 'उदास' रात की खामोश "तन्हाई" में सो लूँ । अकेले ग़मों का बोझ अब है "संभलता" नहीं , अगर तू मिल जाए तो तुझसे लिपट के रो लूँ ।।
No comments:
Post a Comment