Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Thursday, April 7, 2011
कितने रावण
‘किस रावण की काटूँ बाहें, किस लंका में आग लगाऊँ।
दर-दर रावण, दर-दर लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ।’
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